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Saturday, 19 July 2008

मधुर मधुर मुस्कान

शिशु की मधुर मधुर मुस्कान

छोड़ छाड़ सब काम हाथ के
गोद में उसे उठाये
जो सुख जसुदा माँ ने लूटा
झोली में न समाये
शिशु पर देती पूरा ध्यान

गेंद समझकर उसे उछाले
फूटे हसीं फुआरा
प्रसव वेदना की पीड़ा का
भूल जाय दुःख सारा
'कानावाती 'कू-कू कान

चुम्मी गाल गाल पर जड़कर
ढेर वलैयाँ लेती
मचे गुदगुदी जब आँचल में
पल्लू से ढक लेती
मेरा जीवन धन्य महान
[भोपाल:१६.०७.०८]

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