पड़ा दिखाई ज्यों हीं गाँव
लगे ठिठकने मेरे पाँव
चम चम चमका उसका भाल
लगा पूछ्नें एक सवाल
कितने दिन ठहरोगे लाल?
शुभागमन का गूंजा शंख
खुशियों के उग आए पंख
सकल गाँव हो उठा निहाल
उछला केवल एक सवाल
कितने दिन ठहरोगे लाल
जो भी मिला गया पहचान
यद्यपि मैं उससे अनजान
अपनेपन का मायाजाल
मचला केवल एक सवाल
कितने दिन ठहरोगे लाल ?
झ्बुआ लगा चाटने लगा पोंव
हिलाहिला कर मांगें दाव
रस्सी खूंटा के बेहाल
सबके मुह पर एक सवाल
कितने दिन ठहरोगे लाल ?
कुआ बावडी उछले ताल
उछाली मछली टूटेजाल
सभी पखेरू मोदे चाल
उत्तर मागे एक सवाल
कितने दिन ठहरोगो लाल ?
जोर जोर से हुई पुकार
लो आओ पहनो यह हार
शूल फूल ने किया कमाल
अनुत्तरित था एक सवाल
कितने दिन ठहरोगो लाल ?
शुभ स्वागत की शुभग बहार
मलयानिल की सुखद बहार
सूरज चन्दा पूछें हाल
लटका चारों ओर सवाल
कितने दिन ठहरोगे लाल ?
मन गदगद अनगिनती भाव
विह्वलता में डूबी नाव
भूले करना अधर कमाल
याद न रहा जबाव सवाल
कितने दिन ठहरोगो लाल ?
[भोपाल :06. 04.०८.]
सभी पखेरू मोदे
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