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Sunday, 30 December 2007

चिंता

बोल गया कागा मुंडेर पर
शायद घर आयेगा ललना
रोटी रोजी के चक्कर में
देश छोड़ पर देश गया
घर आँगन खलिहान खेत को
'रामभारोसे' सौंप गया
जिससे पूंछो वो ही कहता
सूने खेत गाँव घर अंगना !
जब से गया न चिठिया भेजी
जाने कैसे रहता है?
कब कैसे क्या खाता पीता
किससे सुख दुःख कहता है
आँख फड़क संकेत दे रही
जीवन उसका सुख का झरना !
दिशा दिशा से खबर आ गई
अम्मा मत चिंता करना
ठीक समय से खाना -पीना
बापू का ख्याल रखना
समय समय पर मेघ दूत से
खबर -अतर लेती रहना !
[भोपाल:25.12.07 ]

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