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Tuesday, 18 December 2007

कूरा कचरा बीने बचपन

कूरा कचरा बीने बचपन
नहिं ककहरा लिखा भाग में
पते पुराने कपड़े -लत्ते
संगी-साथी सब किस्मत से
सबके सब हैं सूखे पत्ते
सन्नाटे में डूबे गुलशन
छू सकता इनमें से कोई
आसमान के सारे तारे
पी सकता जग का अंधियारा
धर दे दीपक द्वारे -द्वारे
देखभाल से हारे अड़चन
सद्भावों की फसल उगे तो
भामाशाह न चुप बैठेगें
जितने पचड़े और बखादे
ज्ञान्दीप के कर जोरेंगें
क्षार क्षार होगी उलझन
[भोपाल:१२.12.07]

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