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Saturday, 8 June 2019

क्या बला की धूप?

चिलचिलाती धूप है /फनफनाती धूप है
बाल -रवि घर से चला /खिलखिलाती धूप है 
चमन में हर कली को /गुदगुदाती धूप है
ताप के  तेवर तने/फनफनाती धूप है
छतरियाँ कूलर चले/सर छिपाती धूप है
देखकर हैरान जग /मुस्कराती धूप है
हवा के संग जब बहे /सनसनाती धूप है
पीकर प्रदूषण भांग /बडबडाती धूप है
पारा हुआ हैरान /तिलमिलाती धूप है
आ छिपे सब छाँव में /क्या बला की धूप है
दिन ढला सूरज चला /मिनमिनाती धूप है 
[भोपाल:३०.११.२०१२]  

मोदी जी का k amaal

मोदी जी ने किया कमाल
अनुत्तरित ना रहे सवाल
हर गाली का दिया जवाब
मधुर प्रेम रस भरी किताब
सभी विरोधी भूले दांव
होठ बंद औ' ठिठके पाँव 
राहुल ममता हुए निराश 
हुआ झूठ का पर्दाफास 
मोदी जब बन गए फ़कीर
भेदभाव की मिटी लकीर 
मिलजुल हमसब करें विकास 
सब दुनिया को हो अहसास 
मिटे अँधेरा जले मशाल 
भारत मां का ऊंचा भाल
गुरु -पद गरिमा की पहचान
मिले पुन: छेड़ें अभियान 
ऐसा रचे नया इतिहास 
दुनिया माने जिसको ख़ास
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अजब कहानी

अजब कहानी 
सुनो सुनाता अजब कहानी
पानीदार हुए बेपानी
सरिताओं की गायब कलकल /तन मन छीजरहा पलपल 
याद आरही सबको नानी ...
हार खेत को मिले ना पानी /फसलें कैसे हो मनमानी
जीवन की मिट रही निशानी ...
धरा गगन की बदली भाषा /मौसम की गड़बड़ परिभाषा
गूंजे घोर प्रदूषण वाणी ...
पानी दार ध्यान से सुनना /जो कहता हूँ उसको गुनना
मत करना अपनी मनमानी ...
जिसके अपने सपने जैसे /कदम उठाए यदि वे बैसे
बने सफलता अमित निशानी ...
[भोपाल:०३.०६..२०१९]