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Monday, 2 January 2012

नए वर्ष
के
नव विहान
में
जी करता
हर बच्चे
का
खेल खिलौना बन जाऊं !
बापू का था
खाली खलीता
पानी पी -पी
शैशव जीता
दुनिया जिनको
कहे गरीब
बदलू उनका
तुरत नसीब
नए वर्ष में सब खुशियाँ ले
सुखद बिछौना बन जाऊं !
श्रम में जिनका
जीवन जीता
भाग न उनका
होता रीता
लिखते हैं वे
नई   किताब
खिलते बनकर
नया गुलाब
क ख ग घ परिभाषा में
हर बचपन को समझाऊँ
[सैंट जों न : कनाडा :०३.०१.२११२]