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Monday, 9 January 2012

शत प्रतिशत वे मानी है

सचमुच में बेमानी है !
सूरज से
यह कहना
सूरज रे
जलते रहना
सचमुच में बेमानी है !
dhadkan
जब से उसने होश संभाला
बांटा सहस्त्र करों से उजाला
जहां कहीं भी तम का डेरा
रोज़ सुबह से डेरा डाला
ऐसे सूरज
से कहना
सूरज रे
जलते रहना
सचमुच में बेमानी है !

सूरज जब तक ताप न देता
 सागर तबतक भाप न देता
टस से मस न होता मौसम
जब तक सूरज संकेत न देता
धड़कन है
सबकी सूरज
ऐसे सूरज से
यह कहना
सूरज रे
जलते रहना
सचमुच में बेमानी है !

दुनिया में जीवन की बाती
सबको है सूरज की थाती
हँसने गाने को जो लिखता
बिना चूक के अनुपम पाती
यों ही जबरन
टांग अड़ाना
सूरज से
कहना
सूरज रे
जलते रहना
शत प्रतिशत वे मानी है !
[ह्यूस्टन : अमेरिका :०९.०१.२०१२]

Saturday, 7 January 2012

सूरज से जलते रहना

रामदीन से
यह कहना
सूरज से
जलते रहना
सचमुच में बेमानी है १
जबसे उसने होश सभाला
नहीं चैन  से मिला निबाला
दस्तक देता रहा दिवाला
गम के घूँट
पिया करता
उससे तब
कहना
सूरज से हँसते रहना
सचमुच में बेमानी है !

छानी छप्पर उड़े हवा में
खेत टपरिया बिके दवा में
जान नहीं है हाथ पाँव में
तन मन  है
जिसका ठठरी
उससे तो 
यह कहना
सूरज से खिलते रहना
सचमुच में बेमानी है !

जिसके घर में दिया न बाती
हवा न कोई आती जाती
तन तन नहीं फोन की होती
रेशम धागे
राख़ हुए
रामदीन से
यह कहना
सूरज से जलते रहना
सचमुच में बेमानी है !
[सैंट जॉन कनाडा :०६.१२.२१२]


Monday, 2 January 2012

नए वर्ष
के
नव विहान
में
जी करता
हर बच्चे
का
खेल खिलौना बन जाऊं !
बापू का था
खाली खलीता
पानी पी -पी
शैशव जीता
दुनिया जिनको
कहे गरीब
बदलू उनका
तुरत नसीब
नए वर्ष में सब खुशियाँ ले
सुखद बिछौना बन जाऊं !
श्रम में जिनका
जीवन जीता
भाग न उनका
होता रीता
लिखते हैं वे
नई   किताब
खिलते बनकर
नया गुलाब
क ख ग घ परिभाषा में
हर बचपन को समझाऊँ
[सैंट जों न : कनाडा :०३.०१.२११२]