गंगा-यमुना में नहलाती हिन्दी
रामायण आल्हा सुनवाती हिन्दी
ऊंचा मेरा मस्तक आज हिमालय -सा
सब दुनिया में उत्सव करवाती हिन्दी
अमरीकन भैय्यों की राखी हिन्दी
कबीरा मीरा सूरा की साखी हिन्दी
सोने से सपनों की खीर पकाकर
सब दुनिया को परसे थाली हिन्दी
विश्व धर्म सम्मलेन में गूंजी हिन्दी
सब धर्मों ने तब चूमी थी हिन्दी
सत्य अहिंसा विश्व शान्ति सिखलाने
दुनिया के घर घर घूमीं थी हिन्दी
भारत माता के माथे की बिंदी
आह्वान करती दुनिया को हिन्दी
मिलजुलकर आतंकवाद का खून चूस लो
चीर फाड़ बिखरा दो चिंदी बिंदी
नव नूतन इतिहास रच रही हिन्दी
नए नए उपमान गढ़ रही हिन्दी
विश्व ग्राम कासपना पूरा होगा
ऐसा शुभ संदेश पढ़ रही हिन्दी
[लिटिल रॉक :११.०८.२००३]
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डालास अमेरिका में अंतर राष्ट्रीय हिन्दी समिति के २००३के लिए लिखित
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