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Friday, 8 August 2008

मेरे गीत -सबका दर्द

मेरे गीत नहा गंगा में
अपना धर्म निबाहते हैं

बिर्जू धनिया खेतों में जा
खून बहाते जब अपना
रूखी सूखी गले उतारें
देखें सपनों पर सपना
मेरे गीत लोरियाँ गा गा
माँ का फर्ज़ निभाते हैं

अमराई में गंध बौर की
बिखरा दे जब तरुनाई
डाल डाल पर कोयल कूके
पल पल में गूँजे शहनाई
मेरे गीत झूम कर गाते
सबकी तर्ज़ सुनाते हैं

कोरी आँखों रात बिता कर
कोरे कागज़ रंग डाले
पोर पोर में पीर समाई
पड़े उगलियों में छाले
मेरे गीत जहाँ भी जाते
सबका दर्द बटाते हैं
[भोपाल:०१ ०८ ०८]

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