आने जाने वाले पूँछें
किसकी यह हो रही बिदाई
जब लल्लू छुट्टी घर आया
खुशियाँ झोली भर भर आया
लाया सबके लिए निशानी
जिसने जो माँगा दिलबाया
कौडी कौडी लल्लू खर्चे
जोड़ जाड़ जो रखी कमाई
नाते रिश्ते में जब घूमा
सबने लाड प्यार से चूमा
जिनसे से खेली आंख मिचौली
मेला आगे पीछे घूमा
कैसे कैसे पापड़ बेले
बात बात में कथा सुनाई
पता न चला छुट्टियां बीतीं
बतियाने में रातें बीतीं
सकल गाँव दे रहा बिदाई
चारों ओर उदासी छाई
अम्माकी न थमे रुलाई
[भोपाल:०५.१०.०७]
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