गीत लिखूँ नया नया
तितली भौरा के संग नाचूं
फूल फूल की भाषा बाचूँ
बीज उधार सभी से लेलूँ
क्यारी क्यारी में फिर बो दूँ
निरखूँ अंकुर नया नया
गीत लिखूँ तब नया नया
नदी किनारे जाकर बैठूँ
लहर लहर से फिर मैं पूछूँ
नदिया अविरल क्यों बहती ?
कल कल मैं क्या क्या कहती ?
पढूँ गुनूँ जब सतत बया
गीत लिखूँ टीबी नया नया
धुआं उठे जब ना चौके मैं
सूना घर डूबे सदमें मैं
बिना कफन के लाश तड़पते
हर पल बाई आँख फद्क्ती
उमदे करुना भाव दया
गीत लिखूँ टैब नया नया
[भोपाल 1०. 1.०८]
No comments:
Post a Comment