दोनों हाथ बटोरिये खुशियों का उपहार
झरने सी झरती व्यावहार व्यावहार व्यावहार व्यावहार
अधर अधर नचती हंसी
चुभती फांस निकाल दो
मन में बरसों से बसी
दुश्मन को भी देख लो बदल जाय व्यवहार
महा गंध बिखेरता
टेसू रंग उलीचता
वन उपवन रंग में रंगा
पल पल रंग उदेलता
डाल डाल हर फूल का नाच उठा श्रृंगार
जन गन भरा उमंग से
पिचकारी ने भंग पी
खेले भंग तरंग से
बरसाने रंग में रंगा जन जीवन संसार
लो देखो अब आ गया रंगो का त्यौहार
[भोपाल :२२. 03.०८ ]
मन बिखेरता टेसूरंग लो उश्मन का शमन देख लो बरसों से बसी
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