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Wednesday, 12 December 2007

स्वागत

सीमा ने पाव छुए ज्योंही
स्वागत स्वागत पडा सुनाई

खेत और खलिहान लड़ पड़े
छोड़-छाड सब काम चल पड़े
हंस -हंस जय जय राम किया
एक -एक असबाब लिया

बतिआने की झड़ी लगाई

हम सबको क्या भूल गए थे ?
चिठिया लिखना चूक गए थे ?
दिन कोई ऐसा ना जाता
जिकर तुम्हारा , नाम ना आता


अधर अधर पर कसम दुहाई

जाने से पहिले घर आना
अम्मा -भौजी से मिल जाना
कुछ सुनना कुछ गीत सुनाना
फूले फले न कभी उलाना

तुमने उनसे आख चुराई


[भोपाल:११.१२.०७ ]

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