सीमा ने पाव छुए ज्योंही
स्वागत स्वागत पडा सुनाई
खेत और खलिहान लड़ पड़े
छोड़-छाड सब काम चल पड़े
हंस -हंस जय जय राम किया
एक -एक असबाब लिया
बतिआने की झड़ी लगाई
हम सबको क्या भूल गए थे ?
चिठिया लिखना चूक गए थे ?
दिन कोई ऐसा ना जाता
जिकर तुम्हारा , नाम ना आता
अधर अधर पर कसम दुहाई
जाने से पहिले घर आना
अम्मा -भौजी से मिल जाना
कुछ सुनना कुछ गीत सुनाना
फूले फले न कभी उलाना
तुमने उनसे आख चुराई
[भोपाल:११.१२.०७ ]
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