सशक्त नारी सफल समाज
गूँज रहा है नारा आज
सशक्त नारी सफल समाज
ब्रह्म्मा को रचनी थी श्रष्टि /ठहर गई नारी पर् दृष्टि
तन मन रचा अलौकिक रूप/होने लगी खुशी की वृष्टि
सत्यम शिवम सुन्दरं राज़
गूँज रहा है नारा आज
नारी बिना ना नर की पूछ /वन्श्वेली बिन दुन्या छूँछ
मत पिता जब रचते सृष्टि/तब दुनिया की हिलती पूँछ
नया सृजन देता आवाज़
गूँज रहा है नारा आज
कोई सा भी हो मैदान /नारी की अपनी पहचान
जहाँ ज़रूरत सबसे पहले /रखे हथेली अपनी जान
नव अभियान करे आगाज़/
गूँज रहा है नारा आज
ऐसी नहीं है कोई युक्ति /नारी की झुटला दे शक्ति
ब्रह्मा विष्णु महेश गणेश /माँ की करते हैं सब भक्ति
माँ दुनिया में है सरताज़
गूँज रहा है नारा आज
गूँज रहा है नारा आज
सशक्त नारी सफल समाज
ब्रह्म्मा को रचनी थी श्रष्टि /ठहर गई नारी पर् दृष्टि
तन मन रचा अलौकिक रूप/होने लगी खुशी की वृष्टि
सत्यम शिवम सुन्दरं राज़
गूँज रहा है नारा आज
नारी बिना ना नर की पूछ /वन्श्वेली बिन दुन्या छूँछ
मत पिता जब रचते सृष्टि/तब दुनिया की हिलती पूँछ
नया सृजन देता आवाज़
गूँज रहा है नारा आज
कोई सा भी हो मैदान /नारी की अपनी पहचान
जहाँ ज़रूरत सबसे पहले /रखे हथेली अपनी जान
नव अभियान करे आगाज़/
गूँज रहा है नारा आज
ऐसी नहीं है कोई युक्ति /नारी की झुटला दे शक्ति
ब्रह्मा विष्णु महेश गणेश /माँ की करते हैं सब भक्ति
माँ दुनिया में है सरताज़
गूँज रहा है नारा आज