रोबोट हुए
हम थे न कभी
पिजरे के सुए
अब तो रोबोट सामान हुए
वचपन का परिवेश
बदल गए गणवेश
भूल गए घर देश
पश्चिमी हवा के साथ हुए
भूले रोटी दाल
चटनी साग स्वाद
याद हौटल माँल
बाजारबाद अभियान हुए
रेशम धागे क्षार
काम दाम से प्यार
जीवन ज्यों व्यापार
अपने सब ही अनजान हुए
[सैंट जौन :कनाडा :२२.१२.२०११]
हम थे न कभी
पिजरे के सुए
अब तो रोबोट सामान हुए
वचपन का परिवेश
बदल गए गणवेश
भूल गए घर देश
पश्चिमी हवा के साथ हुए
भूले रोटी दाल
चटनी साग स्वाद
याद हौटल माँल
बाजारबाद अभियान हुए
रेशम धागे क्षार
काम दाम से प्यार
जीवन ज्यों व्यापार
अपने सब ही अनजान हुए
[सैंट जौन :कनाडा :२२.१२.२०११]
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