ताल तलैया पोखर सूखे
कुआ बाबडीसब नल भूखे
प्यासे पशुपंछी नर नारी
अधर सभी के भूखे रूखे
प्यास निगोड़ी कंठ सुखाए !
पल पल पारा ऊपर चढ़ता
ताव धूप का खूब खौलता
बदनाम हुआ छाया का यश
धरा गगन अंगार उगलता
सुबह शाम ढीला पर जाए !
बुरी खबर है अलनौनों की
हालत खस्ता है खेतों की
भूख प्यास की चिंता दुगनी
फसल उग रही रोगों की
मानसून सबको उलझाए !
[भोपाल:२६.०६.०९]



